कर्म के भेद जानने से होता है सन्यास
*तत्ववेत्ता परमहंस जी* *_*कर्म के भेद जानने से होता है सन्यास_** .. पांचों तत्वों (पृथ्वी तत्व , जल तत्व ,वायु तत्व ,अग्नि तत्व एवं आकाश तत्व ) के ज्ञाता श्री तत्ववेत्ता परमहंस जी कहते हैं कि " कर्म के भेद जानने से होता है सन्यास " सामान्य जनों में अक्सर तर्कशक्ति का अभाव देखा जाता है । जिसके चलते वेद, शास्त्र, पुराण मैं वर्णित सिद्धांतों को भी गलत अर्थों में अपनाकर जीवन को पहले से अधिक उलझन भरा बना डालते हैं। ऐसा ही एक शब्द 'कर्म 'है, जिसे समझने में लोग भूल कर जाते हैं और कर्म का अर्थ पुरुषार्थ, परिश्रम मेहनत अथवा लक्ष्य प्राप्ति हेतु किए गए कर्म से समझते हैं जो कि गलत है । 'कर्म 'का अर्थ शास्त्र विहित कर्मों से हैं जिन्हें करना उत्तम बताया गया है । अथवा वे कर्म जिनमें पुण्य ,ख्याति और मोक्ष आदि को प्राप्त करता है| ' कर्म' विवेकी पुरुष करता है |'कर्म ' का उचित ज्ञान होने पर 'कर्म 'स्वता ही नष्ट हो जाते हैं, और महान सन्यास को प्राप्त होता है । पुरुषार्थ वे कार्य है, जिनके द्वारा किसी लक्ष्य को प्राप्त कर