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मनुष्यों को धन देने वाला अग्नि तत्त्व

अपने तेज से संसार में प्रकाश फैलाने वाले,  अत्यंत तेजस्वी, दूर से ही दर्शनीय,  देवताओं के मुख-रूपवैश्वनर, जो संपूर्ण विश्व की आत्मा होकर समस्त संसार में व्याप्त है, उस क्रांतदर्शी अग्नि को मैं प्रणाम करता हूं | who is spreading light in the world through his brilliant   extremely stunning, visible from a distance, Who is also known as mouth of God “vaishwanar” which is the soul of the whole universe, and is pervading throughout the world. I bow to that revolutionary fire. जिसने सृष्टि के आरंभकाल में गतिमान सूर्य को आकाश में स्थापित किया,  जो यज्ञों  के रक्षक, सत्यनिष्ठ, प्रवृद्ध व दीप्तिमान है | जिनकी कृपा से अनेक सिद्ध,तपस्वी, ज्ञानी हुए और बहुतेरे बर्फानी हो गए, निवेशकों का उद्धार करने वाले उस अग्नि को कौन नही जानता ??? Who established the moving sun in the sky in the beginning of the universe. which is the protector of Yagnas, truthful, enlightened and radiant. By whose grace many proven, friar, sage  and many became Barfani, Who does no

निवेश के नए सिद्धांत को जानने से निश्चित रूप से लाभ होगा

There are many ways to predict the Global Financial Market, ग्लोबल फाइनेंसियल मार्केट प्रेडिक्ट करने की अनेक विधियाँ मौजूद है ,   but did all these investors get the benefits? किन्तु क्या ये सब  निवेशक को लाभ पंहुचा पाई ?  Has anyone benefited from the fundamental and quantitative based analysis?  fundamenta  और quantitative एनालिसिस पर  आधारित वीधियाँ से अब तक किसी को लाभ मिला है ?   Has anyone ever benefited from telecom analysis? टेलिकॉम एनालिसिस से कभी किसी को मुनाफा हुआ ?   And not knowing how many times it has been got losses by placing Stop Loss.  और न जाने कितनी बार स्टॉपलॉस लगाने से ही नुकशान हुआ है | All these methods have proved to be a failure, ये सभी विधियाँ अबतक नाकाम ही सावित हुई है, Because there is no strong base in these methods. क्योंकि इन विधियां  का कोई मजबूत अधरहीन है |  That’s why Mr. Tattva-vetta Paramhansa ji has been using oldest scriptures theory इसलिए श्री तत्त्ववेत्ता परमहंस जी लेकर है प्राचीनतम शास्त्रों के २

उपस्थित तत्त्व को कैसे जानें??

यह पूर्व ज्ञात है कि की एक विशेष समय अंतराल में एक विशेष तत्व ही प्रधान रूप से उपस्थित होता है बाकी के शेष बचे हुए 4-तत्व गौण-रूप से उपस्थित रहते हैं, जो तत्व प्रधान मात्रा में विशेष रूप से उपस्थित होता है उसी तत्व का प्रभाव ब्रह्मांड में सर्वत्र दिखाई देता है। मनुष्य की क्रियाकलाप सृष्टि की घटनाओं में इसी तत्व का प्रभाव देखने में आता है।  इसलिए उपस्थित तत्व की इस तत्व की पहचान किस प्रकार से किया जाए, यह जानते हैं- It is previously known that only a particular element is predominantly present in a particular time interval, the remaining 4-elements remain secondary, which element is present exclusively in the prime quantity the effect of this is seen everywhere in the universe. The effect of this element is seen in human and universe activities. Therefore, to know how to identify this element of the present element, I say… It is known before -  तत्व परखने की विधि के विषय में पूर्व में भी बात हो चुकी है , इसलि अब मैं बताता हूं कि किस प्रका

पंचमाहभूतों से सृष्टि की उत्पत्ति, संचालन व अंत

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 पंचमाहभूतों से सृष्टि की उत्पत्ति, संचालन  व अंत ।  Creation, Destruction and Operation of the universe by five elements. सृष्टि के आदि, अंत व संचालन में समाहित वे पांच तत्व जिनके द्वारा देहधारियों की त्वचा, रोम, हड्डी, दृष्टि, स्वांस, मन, बुद्धि व विचारों से लेकर जगत के समस्त ऐश्वर्य-संपन्न पदार्थों का निर्माण हुआ है, मैं उन अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी व आकाश आदि पंचमहाभूतों  को प्रणाम करता हूं. इन तत्वों के द्वारा न केवल ब्रह्मांड के संपूर्ण पदार्थों का निर्माण हुआ है . The five elements contained in the creation, destruction and operation of the universe, through which all the auspicious things of the world have been created, from the skin, hair, bones, vision, breath, mind, intellect and thoughts of the flesh, I bow to that five elements-the fire, the air, the earth and the ether.  By these elements not only the entire substance of the universe has been created, बल्कि पलकों के झपकने से लेकर जगत के समस्त जड़, जंगम वा चेतन का क्रियान्वयन इन्ही

स्वर व तत्त्व परिचय

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स्वर व तत्त्व का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों में है  और बहुत से योगी पुरुष इसे जानते है । किन्तु वे भी  इनका सही से उपयोग बता पाने में असमर्थ रहे।  वर्तमान में कुछ स्वर शास्त्री  स्वर की गहराई को समझ पाये है  परन्तु उनका भी तत्त्वों को पूर्ण रूप से समझ पाना अभी बाकि है।  वास्तव में स्वर तत्त्वों का बाहरी आवरण है ,वास्तविक खेल तत्वों में समाहित है  इसलिए तत्त्वों को जाने और समझें। The description of breathing channels and elements is in many religious texts and many Yogis know it. But they are also unable to tell their usage properly.   At present, some knower of breathing have understood the depth of the breathing channels “nadis”, but they still have to understand the elements completely. In fact, nadis are the outer covering of elements, actual game contains in the elements, so know and understand the elements.   केवल तत्त्वों की पहचान कर लेना पर्याप्त नहीं है , बल्कि उनसे प्रत्यक्ष आर्थिक ,सामाजिक ,आध्यात्मिक आदि लाभ उठाना उचित है।  इस स्वर-शास्त्र को